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Yashwant Vyas

दिव्य चक्षु काम पर हैं

बाबा जी के दिव्य चक्षुओं ने सपने में देखा कि उन्नाव के एक मंदिर में खजाना गड़ा है और सरकारी अमला उन दिव्य चक्षुओं के भरोसे काम पर लग गया। उधर टीवी पर तीन-चार महारथी भावी सरकार पर अपने दिव्य चक्षुओं से दृष्टिपात कर रहे हैं, इधर सोने की तलाश तेज हो गई है।

मैं सोच रहा हूं, ये ‘पीस’ छप रहा है और इसके उलट सरकार बन गई है। सिर्फ मेरा दिव्य चक्षु काम नहीं कर रहा है। मैं सोनिया की घोषणा करता हूं, तो मुलायम पी.एम. बन जाते हैं। मुलायम की घोषणा करता हूं, तो लालू पी.एम. बन जाते हैं। कुछ चेले-चेलियां वापस हरे रामा-हरे कृष्णा गाने लगते हैं।

करुणानिधि, जयललिता के पर पेट पर लात मारकर (हिंदी में यह मुहावरा किसी की रोजी-रोटी छीनने से संबंध रखता है।) मोदी के साथ जा बैठते हैं। कबूतर हड़ताल पर चले जाते हैं। कोयलें आमों की दलाली करने लगती हैं। किसान माथे पर हाथ देकर बैठ जाता है। दिव्य चक्षु काम पर हैं। खंडहर खुद रहे हैं, सोना मिल रहा है। चुनाव हो रहे हैं, सरकार बन रही है। मेरे चक्षु छोड़कर, बाकी सब दिव्य हैं। भोजन दिव्य है, भजन दिव्य है, सोवियत संघ के खंडहरों में और शटडाउन के मारे अमेरिका की कंदराओं में कविता-पाठ दिव्य है। धर्म दिव्य है, धर्म निरपेक्षता दिव्य है और धार्मिक तो परम दिव्य हैं।

मैं देख नहीं पा रहा, लेकिन क्रिकेट के धंधे में टीवी वाले और शीतल पेय वाले खुलकर कमा गए हैं। वहां इस धंधे की लहर चली है और उधर दिल्ली में दूसरे धंधे की लहर चली है। यहां अभी भी एक के साथ एक फ्री और एक के साथ एक्सचेंज ऑफर चल रहा है। कहीं नीतीश और ममता के दिव्य चक्षु भावी विजेता टीम की घोषणा और इनाम की लॉटरी में जुटे हुए हैं और लालू के दिव्य चक्षु देख रहे हैं कि अब गोविंदा जैसों की फिल्म ‘बीवी नंबर वन’ का सीक्वल पटना में कभी रिलीज नहीं होगा, क्योंकि वहां ऑलरेडी, ‘बीवी नंबर वन’ प्रथम ही चल रही है।

ख्वाब चल रहा है। सब पुन: दिव्य-दिव्य है। पड़ोसी की धर्मपत्नी मनीप्लांट बाहर रखकर यात्रा पर चली गई है। लेकिन, उनके दिव्य चक्षु देख रहे होंगे कि उनके चुराकर लगाए गए मनीप्लांट से मौजूदा पड़ोसी ने जहर बेल तोड़ी होगी। मनीप्लांट, चुराए जाने पर ही मनीप्लांट की हैसियत पाता है। ‘मनी’ से चीजें ‘प्लांट’ भी हो सकती हैं। पर, प्लांटेशन कंपनियों में लगाया ‘मनी’ डूब सकता है, इस थ्योरी पर पड़ोसी खूब काम कर चुके हैं। वे मनीप्लांट चुरा लेते हैं। नीरा राडिया का फोटो देखते हैं, बरखा दत्त से खबर सुनते हैं और मनीप्लांट चुरा लेते हैं। दिव्य चोरी है। दिव्य चौर्यकर्मी है। दिव्य चक्षु देख रहे हैं कि चोट्टई से दिव्यता का कितना गहरा रिश्ता हो गया है।

नारायण सांईं को पकड़ने के लिए जिस तारीख को कुछ और पुलिस कंपनियां शामिल की गईं, उसी दिन बाबा जी को खजाना दबा होने के ख्वाब की भी खबर मिली। अब खबर मंत्र फूंके हुए पानी के नाम पर तेजाब पिलाने की भी आएगी। एक खबर गुजरात, दूसरी उत्तर प्रदेश और तीसरी हर प्रदेश की होगी। दिव्य चक्षु यह सब नहीं देख रहे हैं। दिव्य चक्षु दक्षिण में ज्यादा बडे़ काम पर हैं। वे देख रहे हैं कि सुबह की पहली किरण दस जनपथ पर जाकर कितने एंगल से टेढ़ी हो गई है। धरतीपुत्र, ग्वाल-बाल, मसीहा, हृदय सम्राट, आंधी और गांधी के बची दिव्य चक्षु काम पर हैं।

मेरे चक्षु कुछ काम नहीं कर रहे हैं। मुझे भी ख्वाब और खजाने की चिंता है। लेकिन दिल्ली में कोई नेत्र विशेषज्ञ नहीं मिल रहा, जो मेरे चक्षुओं की दिव्यता का दरवाजा खोल दे। आपके पास हो तो 2014 में बताना।

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