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देसी कट्टे में आई लव माई इंडिया

Yashwant Vyas

उनके झोले में प्याज थे और पुलिस ने अंदर कर दिया। प्याज को थैले में बरामद बम बताया गया और प्याज की सब्जी बनाकर तब के पुलिस वाले खा गए। उन्हें बदले में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्जा मिल गया।

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वे तब भी डरे हुए थे और आज भी डरे हुए हैं। सूद पर पैसे चलते हैं। दो फैक्ट्रियां हैं। बड़े को एमएलए बनवाना चाहते हैं, छोटा बेटा बदमाश है, इसलिए स्कूलों की एक चेन चला रहा है। उन्हें डर यही है कि हर पंद्रह अगस्त पर उनके सपनों में रह-रह कर जो प्याज आते रहे हैं, कहीं वे निकल कर सचमुच बमों में न बदल जाएं।

कुछ दिन पहले एक सद्भावना यात्रा का दौर शुरू करने के पहले खाना बना। उन्होंने पूछ लिया कि यहां सब्जी में प्याज तो नहीं डाला जाएगा? उनका मानना है कि दरअसल, कांग्रेस में आजादी के बहुत सारे ऐसे जियाले आ गए हैं जो धंधा ब्याज और प्याज का करते थे, लेकिन क्रांतिकारियों के खाते में बाज और बम आए।

वे लगातार कोशिश करते रहे हैं कि उन्हें बाज और बम की तीक्ष्णता के पैमाने पर न तोला जाए, ′हम ब्याज और प्याज वाले ही भले। आपको हिस्सा चाहिए तो इसी ट्रैक पर जाने से काम चलेगा।′

अभी कांग्रेस ने भ्रष्टाचार के विरोध में देश को आगे बढ़ाने का ऐलान किया है, तो उन्हें अपने प्याज वाले दिनों की बड़ी याद आई। उन दिनों वे क्रांतिकारियों के पर्चे छापने वाले एक शख्स से मिले और उन्होंने योजना बनाई कि क्रांति के लिए पैसा देने वालों से पैसा लेंगे और क्रांतिकारियों से जुड़ी योजनाओं पर खर्च करने के लिए पहुंचाएंगे।

उन्होंने यही किया और दस फीसदी कमीशन खा गए। उस कमीशन से कुछ हिस्सा निकालकर उन्होंने प्याज खरीदा और गरीबों में बंटवाया, ताकि वे रोटी पर रखकर खा सकें। लोगों ने उन्हें दुआएं दीं। इसके बाद उन्होंने कमीशन का रेट बढ़ा दिया, ताकि प्याज वाली राशि बढ़ जाए और गरीब ज्यादा दुआएं दे सकें।

कई बार, ये प्याज उन्होंने आंखों में आंसू भरने के लिए इस्तेमाल किए और क्रांति संबंधी मामलों में कमीशनखोरी की एक गुप्त परंपरा विकसित कर ली। आज भी उनका दावा है कि यदि उस परंपरा का ठीक से पालन हो, तो गरीबों को भी आनंद आएगा और देश में भी कमीशन के सिलसिले में सात्विक व्यवस्था कायम हो सकेगी।

आजादी के एक समारोह के सिलसिले में उन्होंने अपने दोस्तों से बात की। वे काफी हद तक संतुष्ट नजर आए। आजादी के पचास साल हुए थे, तब उन्होंने देखा था कि छोटा राजन ममता कुलकर्णी पर मेहरबान है।

अब देख रहे हैं कि दाऊद इब्राहीम ने अपने गैंगवालों को नए किस्म की चॉकलेट खाने को दी है। सटोरिए शेयर बाजार, बैंक एवं जमा पूंजी पर एक सार्वजनिक ट्रस्ट के जरिये प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना करने जा रहे हैं।

चार्ल्स शोभराज की फरार प्रेमिका चार्ल्स के भारत प्रेम पर कविता लिख रही है। बच्चे बंजी जम्पिंग करके थम्स-अप पिए जा रहे हैं। जावेद अख्तर ने काफी फाइटर पेन बेच लिए हैं, फरहान पानी में गिरा मोबाइल लिए भागा जा रहा है। वे देख रहे हैं कि तिहाड़ पर ′हाउस फुल′ का बोर्ड लगने को है।

मोबाइल पर एमएलए एमएमएस देख रहे हैं। भ्रष्टाचार नामक शब्द इतना घिस गया है कि आदमी को भ्रष्ट होने की ब्रांडिंग के लिए एजेंसी की जरूरत आ पड़ी है। टीवी के प्रायोजित राष्ट्रीय पुनर्निर्माण कार्यक्रम में बुजुर्ग मनीषी खांस रहे हैं और उन्हें पारिश्रमिक स्वरूप ऊंचे ब्रांड की खांसी की दवाई पिलाई जा रही है।

आदिवासी भूख दबाकर नाच रहे हैं। नाच को दूरदर्शन कवर कर रहा है और इतना सुंदर दृश्य संयोजन है कि लोगों को आदिवासी होने की इच्छा ने दबोच लिया है। मनरेगा की लिस्ट में फर्जी नाम और फर्जी गड्ढे हो गए हैं।

प्रियंका पिज्जा खा रही हैं, श्रीनिवास इत्र सूंघ रहे हैं, विजय माल्या हलुआ घोंट रहे हैं, नीतीश कुमार ने जंतर-मंतर के पास हस्तरेखा विशेषज्ञों की टीम खरीदकर ज्योतिष मार्केट में डंका बजा दिया है। तीन-चार तोते अहमदाबाद से भी लिए हैं, जो भविष्यवाणी करने में स्टार साबित हो रहे हैं।

मुलायम ने सख्त दुर्गा को परास्त कर दिया है और दंगे मचाने वाले टोपी पहनकर सरकारी इफ्तार कर रहे हैं। दबंग चेन्नई एक्सप्रेस में बैठकर करोड़ों कूटने का आनंद ले रहे हैं।

यह आजादी के समारोह की तैयारियों का दृश्य है। मेरे दोस्त मुझसे कहते हैं, भई प्याज वाली पुरानी बात से डरने की जरूरत नहीं है। अब तो हम यह कह सकते हैं कि इसमें वह कूवत थी कि प्याज को भी बम की तरह पेश कर सके। बड़े-बड़े प्याज की प्रतिमाएं बनवाओ।

समारोहों के दौरान कुछ प्याज पेश करो। कहो, ′ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी/जो प्याज आज यहां हैं, थी उनकी ही कुर्बानी।′ जब लोग इस दृश्य को देखेंगे, तो आजादी की वास्तविकताओं तथा संघर्ष की जटिलताओं को भूल जाएंगे। उन्हें बम और भगतसिंह के पीछे हमारे ब्याज और प्याज की शक्ति नजर आने लगेगी।

जो फैशन डिजाइनर छाती, पेट और टांगें दिखाने के कलात्मक तरीकों वाले कपड़े तैयार करने में महान हो रहे हैं, उन्हें भी आजादी चढ़ी हुई है। वे तिरंगी छटा बिखेर रहे हैं। शराब तीन रंग की बिकेगी। जुआ खेलने की मेजें तीन रंग की बनाई जाएंगी। गुंडे अपने गले में तीन रंग वाले रूमाल डालना चाहते हैं।

छुरे और देसी कट्टे ′आई लव माई इंडिया′ के उद्घोष के साथ काम में लिए जाएंगे। गुंडों से लेकर अंडों तक और आलू से लेकर बंडों तक आजादी की रोशनी ढोल दो। कुछ खा जाएंगे, कुछ कमा जाएंगे। आजादी का आज मार्केट है।

तीन रंगों का दौर है। भिखारी तीन रंग की आवाजें निकाले, गरीब तीन रंग के आंसू रोए, पैसे वाले तीन रंगों के स्वीमिंग पूल में जाकर कूद जाएं।

माहौल देखकर हमारे मित्र का भी डर निकल गया है। उनके झूठे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी होने पर कोई सवाल नहीं करेगा। वे झूठे अफसाने सुनाएंगे और समारोह में तालियां लूट ले जाएंगे।

प्याज का धंधा किसी मल्टीनेशनल के सहयोग से नए सिरे से शुरू करेंगे और बमों की तस्करी देसी लोगों के लिए छोड़ देंगे।

वे निश्चिंत हैं, भारत फिर से नई स्टाइल में आजाद हो रहा है!!

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