कवि मार्गदर्शक मंडलों के दौर में पार्टियों से परेशान हो गया है।
उसने अपने सुझाव तैयार किए हैं और मुख्यालयों में घूम रहा है।
देश विचित्र समस्याओं से गुजर रहा है। महाराष्ट्र में सब कुछ जानते हुए भी शिवसेना की आत्मा भटक रही है। कम्युनिस्ट पार्टी में सब कुछ जानते हुए भी कुछ कर डालने से पहले खुद से खुद की जोर आजमाइश चल रही है। शाही इमाम को पाकिस्तान में अपना नूर नजर आया है। जनता में काले धन को लेकर विभिन्न लतीफों का बाजार चल निकला है। ऐसे विचित्र समय में दिग्विजय सिंह ने सोनिया गांधी को मार्गदर्शक बनाने और राहुल को पूरी कांग्रेस संभालने का आह्वान किया है।
कवि इस राय के बाद थोड़ा चिंतित है। कवि मानता है कि मार्गदर्शन बड़ी गजब की चीज है। ऐसा प्रतीत होता है कि अब से पहले सोनिया जी का मार्गदर्शन ठीक से नहीं मिल रहा था। राहुल गांधी अपने यहां नरेंद्र मोदी हो जाएं और सोनिया, आडवाणी तो कांग्रेस का भविष्य संवर जाए। मगर कवि को भाजपा से प्रेरणा लेने में मौलिक समस्या है। भाजपा में जीत से लोग सिर पर जा बैठे हैं। कांग्रेस में हार के बाद सिर पर बैठने का मूड किसका होगा, यह जानना बेहद मुसीबत का काम है। कवि ने ऐसे में रेजर मैनेजमेंट से उठाकर कुछ सुझाव सर्वसाधारण के लिए प्रस्तुत किए हैं। उन्हें ज्यों का त्यों यहां दिया जा रहा है।
1. दोष : हर किसी ने तय किया है कि वह जिंदगी कैसे जिएगा। फिर भी उसके तय किए हुए नक्शे के मुताबिक जिंदगी इसलिए नहीं चलती कि वह दूसरों के भरोसे अपना सपना सच करना चाहता है। शेविंग क्रीम का कोई दोष नहीं है, अगर रेजर में धार नहीं है।
2. आग : मोमबत्ती के भीतर एक धागा होता है। सिर्फ धागे में आग को सतत जलाए रखने की शक्ति नहीं है। वह शक्ति मोम में है, जो उसके आसपास, पिघलकर खुद को जलाते हुए रोशनी देता है। अगर कोई रेजर धागे को आधा काट दे तो चाहे जो कोशिश कर ली जाए मोमबत्ती के प्रकाश का जीवन सिमट कर आधा ही रह जाएगा।
3. निष्ठा : रेजर उसके प्रति ही निष्ठावान होता है जिसकी तरफ उसकी धार नहीं होती है। यदि धार पलट जाए तो थामने वाले हाथ को ही काट सकता है। अपनी धार अपने ही खिलाफ कभी इस्तेमाल न होने दें।
4. पहचान : रेजर भी उल्टा चलाया जाता है, बशर्ते आपके पास इस बात का पक्का विश्वास हो कि इससे जीवन की राह ज्यादा सरल और सपाट हो जाएगी। वर्ना उल्टा रेजर त्वचा की एलर्जी का कारण बन सकता है। सही जिंदगी के लिए त्वचा की पहचान और रेजर की दिशा में तालमेल सबसे बड़ी जरूरत है।
5. सौंदर्य : दूसरों के हाथ में रखा हुआ रेजर हमेशा आपका दुश्मन नहीं होता। वह आपको मनमाफिक साफ और सुंदर बना सकता है। मगर याद रखिए उस रेजर को चलाने के लिए आप पारिश्रमिक का भुगतान कर रहे होते हैं।
6. गति : रेजर की अहमियत तब तक कुछ नहीं है, जब तक वह खामोश पड़ा है। प्रत्येक धार को गति देने के लिए मनुष्य की जरूरत होती है। अपने आपको वह मनुष्य बनाइए।
7. चुनाव : रेजर से गंजा होना या तो पारंपरिक मोक्ष की अवधारणा की याद दिलाता है या सिर्फ बालों से मुक्ति। जब सरल भाव से आप गंजे होते हैं तो वह परंपरा कहलाती है। परंपराएं बदलने के लिए सिर्फ रेजर नहीं, इरादे और अवसर का चुनाव आना चाहिए।
8. कौशल : जेब काटने के लिए छोटी सी कलाकारी की जरूरत होती है, जबकि कुछ लोग उसकी बजाय बड़े रेजर का इस्तेमाल करते हैं। इसका मतलब है – मुख्य बात वस्तु नहीं उसके इस्तेमाल का कौशल है।
9. इरादा : बालों के बीच रेजर से कुछ भी अक्षर लिखवाए जा सकते हैं, लेकिन दिल के भीतर वास्तविक इरादा पैदा करना नामुमकिन है। अदृश्य रेजर से हृदय पर पक्के इरादे अंकित कीजिए।
10. साधना : कभी-कभी नरम पनीर के टुकड़ों को भी रेजर से काटने की जरूरत होती है, लेकिन उसके लिए धार को और तेज तथा हाथ को ज्यादा सधा हुआ रखना होता है। साधना, जिंदगी के भोजन में बेहतरी के लिए भी उतनी ही जरूरी है जितनी धार।
कवि को इसके बाद उम्मीद है कि जरूरतमंद लीडर उससे रेजर भी खरीदेंगे और ज्ञान भी। स्टीफन आर. कवी का नाम लेकर एक सूक्ति सुना रहा है- ‘लीडर वह है जो लंबी यात्रा कराने के बाद, सबसे ऊंचे वृक्ष पर चढ़ता है, चारों तरफ निगाह डालता है और फिर जोर से चिल्लाकर बताता है, हम गलत जंगल में चले आए हैं।’
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