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Yashwant Vyas

विश्लेषण, क्रांति की आखिरी सीढ़ी है

विश्लेषण एक दिलचस्प चीज है।

यह इसलिए किया जाता है कि जो कुछ सामने है, उसमें से अपने काम की चीज कैसे निकाली जाए और अपने खिलाफ जा रही चीज को कैसे दूसरे के खिलाफ बताया जाए। पार्टियां अपने प्रवक्ता रखती हैं, जिनका धंधा यह बताया जाता है कि वे पार्टी के नजरिए को प्रेस तक पहुंचाएंगे। प्रवक्ता, जल्दी ही घुटा हुआ वक्ता हो जाता है। वह सबसे निरीह और सबसे उस्ताद, एक साथ होता है। वह आरोप लगाता है और अपने खिलाफ लगे आरोपों को ‘हाइपोथिटिकल’ कहकर निकल लेता है।

इन प्रवक्ताओं को बाद में बाकी नेताओं के साथ टी.वी. पर बुलाया जाता है। ये नतीजे देखते जाते हैं और बहसते जाते हैं। जैसे एक नतीजा आया, गोभी के फूल में इस बार कीड़े लग गए। मान लीजिए कार्यक्रम संचालक ने गोभी वाले के साथ, एक पेस्टीसाइड वाले को, एक बीज कंपनी वाले को, एक मौसम विशेषज्ञ को और एक खामख्वाह के विशेषज्ञ को बिठा रखा है। संवाद यूं चलेगा-

‘इस बार देखिए जो नतीजे आ रहे हैं, उनमें गोभी के फूल को कीड़े लगते दिखाई दे रहे हैं। क्या आपको नहीं लगता कि इस बार कीड़े कुछ ज्यादा ही लगे हैं?’

पहलाः देखिए, जहां तक गोभी का सवाल है, आप मानेंगे कि हम टमाटर भी उगाने में सफल हुए हैं। उस पर कीड़ों की संख्या अपेक्षाकृत कम रही है।

दूसराः आप टमाटर की तरफ जा रहे हैं, लेकिन पहले गोभी पर उत्तर स्पष्ट करना जरूरी है। टमाटर तो हमने भी उगाए और पिछली बार से हमारा टमाटर प्रतिशत बढ़ा है, जबकि कीड़ा-प्रतिशत घटाने में हम सफल हुए हैं। जबकि गोभी आप ही उगाते रहे। उसमें गोभी का घटाव हुआ जबकि कीड़ों का प्रतिशत बढ़ा। यह साफ-साफ आपके खिलाफ जा रहा है।

पहलाः आप यह देखिए कि हम पहले सिर्फ गोभी उगाते थे, अब टमाटर भी उगा रहे हैं या उगाने में कामयाब हुए हैं तो यह कम उपलब्धि वाली बात नहीं है।

एंकरः माफ कीजिए। हमारे साथी पेस्टीसाइड एक्सपर्ट के पास कुछ आंकड़े हैं। उन आंकड़ों को देख लें कि कितना स्विंग हुआ है। और बाद में हम मौसम विशेषज्ञ साथी से राय जानना चाहेंगे।

विशेषज्ञः पिछली बार से जो बढ़त टमाटर में गई उसके ढांचागत विश्लेषण में जाएं तो पता चलेगा कि जेल में सामाजिक उथल-पुथल हुई है। ये जो परिणाम हैं, उनसे गोभी-कीड़ों की शक्ति का भी अंदाजा होता है। (इसके बाद स्क्रीन पर पांच मिनट तक एक ग्राफ चलता रहता है, जिस पर टमाटर-गोभी पर कुछ आंकड़े गुदे हुए होते हैं।)

एंकरः मौसम विशेषज्ञ, आप कुछ कहें-

विशेषज्ञः पानी असमय गिरा था। कीड़ों की संभावना हमने पहले भी कही थी कि पानी गिर गया तो ऐसा हो जाएगा। नहीं गिरा, तो नहीं हो सकता।

बीज कंपनी वालाः पर आपको इस बात का पक्का विश्वास नहीं था कि पानी गिरेगा कि नहीं?

पहलाः देखिए आप उलझा रहे हैं। हमने गोभी काफी पैदा कर ली है। उन क्षेत्रों में भी की है, जहां पहले सिर्फ मूली होती थी। तो आपको यह मानना पड़ेगा कि कीड़ों के बावजूद गोभी हुई।

दूसराः यह इनका दंभ है। ये बताएं कि टमाटर के मामले में उन्होंने क्या किया?

एंकरः माफ कीजिए, इस बात पर बाद में आते हैं। इस बीच हमारे एक संवाददाता खेत में खड़े-खड़े इंतजार कर रहे हैं। वे खेत, बीज और बाकी नतीजों पर एक महान लीडर के साथ खड़े हैं- हां जी………….।

(फिर एक प्रहसन लगता चलता है। खेत से गोभी, मूली, टमाटर पर बहस होती है। लीडर खेत में खड़े-खड़े बताता है कि वह तो चने उगाने वाला है। ये तमाम गड़बड़ियां कैसे हो गईं, उसे पता नहीं। एंकर फिर स्टूडियो लौट आता है। फिर वही विशेषज्ञ, वही गोभी, वही टमाटर, वही कीड़े! जनता को गोभी के भाव के बारे में जानना है पर उनकी बहस कीड़े और टमाटर की क्वालिटी पर रुकी हुई है। एक कमर्शियल ब्रेक के बाद फिर वही लफड़ा शुरू होता है।)­­

अभी विश्लेषण इसी तरह चलेंगे। कुछ लोग कीड़ों पर और कुछ लोग टमाटरों-गोभियों पर अड़े रहेंगे।

फिर से चुनाव का मौसम आएगा और यही के यही लोग फिर इन्हीं बातों पर बहस करते दिखेंगे। चार प्रायोजक मिल जाते हैं। चालीस नेता मिल जाते हैं। चार दिन अच्छे गुजर जाते हैं। लोकतंत्र की जय-जय हो जाती है। अगर सब्जी का लोकतंत्र हो तो लोग खेत बेच खाएं और विशेषज्ञों से ‘लाइव’ बहस में डकार पर टिप्पणी मांगते दिखें।

विश्लेषण का यही मतलब है। अच्छे विश्लेषक को चाहिए कि वह सब्जी तंत्र में महारत हासिल करके, राजनीतिक तंत्र में प्रवेश करे। वह हिट होगा, तंत्र फिट होगा।

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