top of page
  • Writer's pictureYashwant Vyas Archive

सूची के आगे दो सूची

केजरीवाल ने एक सूची जारी की है। इसमें बताया गया है कि पच्चीस राजनीतिक हीरो भ्रष्ट हैं। अगर इनका निपटना निश्चित हो जाए, तो देश किनारे लगे। सूची पढ़कर राजपथ और जनपथ के बीच चक्कर लगाने वाले कई तीसमारखां परेशान हैं। वे बार-बार सूची को पढ़ते हैं और निराश हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि केजरीवाल ने उनके साथ साजिश की है।

‘आपको ऐसा क्यों लगता है कि इस सूची के पीछे केजरीवाल की कोई साजिश है?’

kejar

‘क्या इस निशाने से आपके आसपास का कोई घायल हुआ है?’

‘यही तो समस्या है। जबसे दिल्ली की नई सरकार हमने मदद करके बनवाई है, इनके निशाने का अता-पता ही नहीं चलता। इस सूची को ही लीजिए, इसमें हमारे आदर्श युवा नायक को भ्रष्ट बताया गया है।’ ‘लेकिन आपके ही क्यों, कई अन्य पार्टियों के एक-दो नमूने तो सूची में शामिल हैं ही।

कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक-दो भ्रष्ट तो हर जगह होंगे ही। इसमें कोई खास चिंता नहीं की जानी चाहिए।’

‘चिंता इस बात की नहीं है कि एक-दो भ्रष्ट नमूने उत्तर से दक्षिण तक चुनकर सूची में डाले गए हैं, चिंता इस बात की है कि जब हमारे आदर्श नायक को उसमें शामिल किया गया है, तो हमें क्यों छोड़ दिया गया?’

‘आपको उन्होंने भ्रष्ट नहीं माना होगा।’

‘ऐसा कैसे हो सकता है? जिस सूची में हमारा आदर्श युवा नायक होगा, उसमें हम न हों तो यह संदेश जाएगा कि हम उनसे अलग हैं। अगर अलग हैं, तो हमारा भविष्य भी उनसे अलग है। अगर हमारा भविष्य उनसे नहीं जुड़ा होगा, तो हमारे होने का क्या अर्थ है?’

‘अजीब बात है। आपको भ्रष्ट न होने पर इतना अफसोस हो रहा है?’

‘इन फालतू की बातों में क्या रखा है? सूची के भ्रष्टाचार और भ्रष्टों की सूची से हम राजनीति नहीं करते। हमारा इतना सा मानना है कि जहां कहीं हमारा नायक हो, उससे हमारा नाम जुड़ा दिखना चाहिए। इससे पार्टी और भीतरी राजनीति में गुंजाइश बनती है। यदि उन्हें भ्रष्ट में रखो तो हमें भी, उन्हें स्वच्छ में रखो तो हमें भी।’

‘आमतौर पर सिद्धांत यह है कि यदि लीडर भ्रष्ट में गया, तो उसके अनुयायी भी भ्रष्ट के खाते में मान लिए जाते हैं। आप मान लीजिए कि आप भी सूची में हैं। बस अदृश्य हैं।’

‘यह अदृश्यता ही खतरनाक है। दिखना चाहिए कि हम हैं। क्योंकि न दिखने से कुछ भी नहीं दिखता है। दिल्ली में हमें विज्ञापन लगाने पड़े थे कि ‘विकास दिखता है’। अभी भी हम बता रहे हैं – ‘भारत निर्माण के प्रमाण’। तो, ये प्रमाण दिखाने पड़ते हैं। सूची में हम दिखेंगे नहीं तो उनकी नजर में कैसे आएंगे? नजर में न आए तो पार्टी की सूची से अदृश्य हो जाएंगे। यह तो राष्ट्र के लिए बहुत बुरा होगा।’

‘यानी आप भ्रष्टों की सूची में लिखे जाते तो राष्ट्र के लिए अच्छा होता।’

‘सूची अगर राष्ट्र के लिए है, तो हम भी राष्ट्र के लिए हैं। या तो आप हमारे आदर्श नायक का नाम हटाइए या हमें भी शामिल कीजिए।’

‘इस मामले में तो केजरीवाल ही बता सकते हैं कि उन्होंने सिर्फ पच्चीस-तीस ही भ्रष्ट कैसे निकाले। शायद यह सोचा होगा कि एक-एक पार्टी का एक-एक प्रतिनिधि आ जाए तो सभी पार्टियां स्वयमेव भ्रष्ट मान ली जाएंगी।’

‘यह कोई अभिभाषण नहीं है, जिसकी पहली लाइन पढ़कर शेष को पढ़ा हुआ मान लिया जाए। सूची दो तो पूरी दो। यदि नहीं दी तो हम अपनी सूची जारी करेंगे।’ ‘तो आप भी भ्रष्टों की सूची जारी करना चाहते हैं?’

‘हम करेंगे तो जवाब देना मुश्किल होगा। किसी भी सूची के आगे दो सूची और सूची के पीछे दो सूची, बताओ कुल कितनी सूची?’

‘मेरे हिसाब से पांच सूची।’

‘बिल्कुल गलत। कुल तीन सूची हुई। हम जो सूची जारी करेंगे, वह होगी ही इस तरह कि तीन दिखेगी। आप उसे पांच कहते रहेंगे, हम उसे तीन दिखाते रहेंगे। इस तरह तीन-पांच में चुनाव निकल जाएगा।’

वे पार्टी मुख्यालय की ओर नारा लगाते हुए निकल गए। कहा जाता है कि वहां लोकसभा के उम्मीदवारों की सूची बन रही है। उनका जोर है कि केजरीवाल की सूची में जिनके नाम नहीं आए हैं, उनके टिकट काट दिए जाएं। जो नायक के साथ नहीं दिख सकते वे चुनाव कैसे जिताएंगे?

बताया जाता है कि वे अपने साथ एक गुप्त सूची भी लेकर गए हैं, जिनमें सांप्रदायिकता, घोटाले, महंगाई और अराजकता के शीर्षकों के तहत सैकड़ों नाम हैं। उनका मानना है कि धर्मनिरपेक्षता, स्वच्छता, सस्तई और शांति तभी आ सकती है, जब उनकी इस सूची से नाम चुनकर टिकट दिए जाएं।

भ्रष्टों की सूची लिए केजरीवाल एंड कंपनी खड़ी है। जनता तो अपनी सूची पढ़ती है। लेकिन, उसकी सूची कौन पढ़े?

जनता की सूची हमेशा बोगस होती है।

जनता की सूची राजपथ-जनपथ के तीतरों की पहेली में उलझी-उलझी फट जाती है।

जनता रहेगी, सूची चलती रहेगी!

0 views0 comments
bottom of page