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कवि की

मनोहर कहानियां

 

कवि आत्मा है, मनुष्य शरीर है।

कवि जीभ है, मनुष्य नमक है।

कवि प्यास है, मनुष्य पानी है।

कवि भूख है, मनुष्य रोटी है।

 

कवि कविता की जगह एक नाव बना दे तो जनता उसमें चढ़ बैठे,

ताकि जब डूबने की घड़ी आए तो जान बचाने का सामान हो।

 कवि कहता है, नाव बनाना मामूली काम है।                                      

 वह ऐसे मामूली काम क्यों करे?

 

वह महान काम के लिए पैदा हुआ है।  नाव तो किसी ऐरे-गैरे से बनवा लो

जो लकड़ी ठोंकना जानता हो, कवि तो कविता ठोंकता है।

 

कवि इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में  बैठा सोच रहा है,

वह आदमी बन गया तो कविता कौन करेगा ?

कवि अस्पताल, बैंक, स्कूल, फिल्म, रेस्टोरेंट, देह, मेह, मोबाइल, नाचघर और क्रिकेट को भोगता है।

कवि आरटीआई लगाता है और क्रांति का  भुट्टा खाता है ,

पर 

कवि स्कूटी का लाइसेंस नहीं रखता।

 

ये ऐसे ही कवि की मनोहर कहानियाँ हैं

UNPARALLELED SATIRE, MASTERFUL STORYTELLING, SUPERBLY SUCCINCT.​​​​​​​​

 

मारक कथाओं और व्यंग्य शिल्प का अनूठा अनुभव

A KHATAAKK FICTION SERIES Presents KAVI KI MANOHAR KAHANIYAN

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बोसकीयाना

 

ज़रूरी नहीं  कि शाम की शफ़क़ आप भी उसी तरह से देखें, जैसे मैं देखता हूँ. ज़रूरी नहीं कि उसकी सुर्खी आपके अन्दर भी वही रंग घोले , जो मेरे अन्दर घोलती है . हर लम्हा, हर इन्सान अपनी तरह खोल कर देखता है . इसलिए उन लम्हों पर मैंने कोई मुहर नहीं लगाई , कोई नाम नहीं दिया. 

बोसकीयाना कोई तीन दहाई लम्बी मुलाक़ात से बीने हुए कुछ लम्हों का दो सौ पेजी तर्ज़ुमा है। इसकी अढ़ाई दिन की शक़्ल में गुलज़ार का मक़नातीसी जादू खुलता है... शायरी, फिल्म, ज़िन्दगी और वक़्त का जुगनू रोशन होता है। जो जानते हैं , वो जानते हैं कि गिरह से ज़्यादा रमाने वाली गिरह की तलाश होती है। ..इसी तलाश का एक नाम है बोसकीयाना -जहां लम्हा भी मिला और दास्ताँ भी।

 

 

शायरी, फ़िल्में, लोग और चाँद...सब साथ आए.

एक आत्मीय बैठक,एक प्रेमिल संगत 

एक भरा-पूरा ,अद्वितीय अनुभव है - बोसकीयाना.

​ शायर-फ़िल्मकार   गुलज़ार के चाहने वालों के  लिए एक अनिवार्य किताब.

 

BOSKIYANA  peeks into Gulzar’s life philosophies

नया शिल्प और ताज़गी बहुत बड़ी खूबी है !

- ' चिंताघर ' पर श्रीलाल शुक्ल 

 

​महत्वपूर्ण और विलक्षण है !

- ' कॉमरेड गोडसे ' पर कमलेश्वर 

​पूरे जेबकतरे हैं , लिखने से पहले जेब काट लेते हैं... बोलने से पहले जीभ काट लेते हैं, जो सोचता हूँ , भांप लेते हैं !

- ' बोसकीयाना' पर गुलज़ार   

Kavi Ko Godi Bahut Pasand Thi I Recitation by #DrHetuBhardwaj  #KaviKiManoharKhaniyan #YashwantVyas
कवि प्राइम टाइम एंकर हो गया I Kavi Ki Manohar Kahaniyan by Yashwant Vyas I Reading Abhishek Tiwari
Kavi Ke Desh Men Jantantra I Kavi Ki Manohar Kahaniyan By Yashwant Vyas I Reading Abhishek Pandey
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