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Join date: Feb 21, 2024
Posts (79)
Oct 5, 2025 ∙ 8 min
उस किताब में एक रॉयल्टी रहती थी
पांच महीने में पांच लाख कॉपी हों और बारह रिप्रिंट, उसके बावजूद सारा मुनाफा एक ही जेब में कैसे जा सकता है? ऊपर से इसकी क्या गारंटी है कि रिप्रिंट और संख्या सही-सही जाहिर की जा रही है? एक प्रकाशक हजार टाइटल छापता है। हर एक ‘प्रोजेक्ट’ दरअसल बाजार में उसका व्यापारिक निवेश होता है, […]
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Apr 5, 2025 ∙ 5 min
छावा के वक्त में पूरब और पश्चिम
अब जब नए-नए भारत कुमार बन रहे हैं और अस्सी के दशक में छपे शिवाजी सावंत के उपन्यास ‘छावा’ की फिल्मी कामयाबी पर 2025 में रुदन और हर्ष एक साथ आसमान छू रहे हैं, मनोज कुमार के उस चित्र को देखना कितना सुकून देता है, जिसमें वे शहीद भगतसिंह की मां विद्यावती जी के साथ मुस्करा […]
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Dec 29, 2024 ∙ 4 min
फिर एक सुंदर सी कथा कहें
जो कहानी हम बनाते हैं, वही हमें बनाती है। इसके जरिये ही हम दूसरे के जीवन में प्रवेश करते हैं, उसके चरित्र में उतर सकते हैं, उसके अनुभवों को जीकर वापस अपने में लौट सकते हैं। इसीलिए कथाएं हमारे विश्वास भी गढ़ती हैं। हमारी संवेदनाओं के नक्शे उनसे धड़कते हैं। हर साल हम कुछ कथाएं जीते […]
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Yashwant Vyas
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