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गरीब की दिलचस्पी

साधु महाराज अंदर हो गए। मुजफ्फरनगर का बवाल खत्म हुआ। यह तूफान भी निकल जाएगा तब क्या करेंगे? कुछ लोग इसी तरह अपनी तलाश जारी रखते हैं। उन्हें एक ‘मामला’ चाहिए। न मिले तो क्रिएट करके रख दें।


‘आम आदमी का मीडिया कैसा होता है? क्या उसमें प्रोप्राइटर नहीं होता?’

एक सज्जन मेरे पास आए। बड़े गंभीर। जबर्दस्त एम.बी.ए.। बस मीडिया लाइन में हाथ आजमाना चाहते हैं। धन की कोई कमी नहीं। कहने लगे, आप की प्रतिभा का सदुपयोग होना चाहिए। कृपया राय दीजिए कि मीडिया को कैसे जीता जाए? उन्होंने अंग्रेजी में यह सब कहा। हिंदी में जो अश्लील लगता है, अंग्रेजी में वह श्लील हो जाता है। वे श्लीलता के पुजारी थे। अंग्रेजी में प्रस्ताव, बहस आदि करते थे। बस, चाय-पानी या बाकी पेय पदार्थ हिंदी में मांगते-मंगाते थे।

मैं उनसे प्रेमशास्त्र सुनना चाहता था। वे अर्थशास्त्र के ज्ञाता की तरह बोले। फिर अचानक वे समाजशास्त्र के प्रवक्ता की तरह बोले। वे नीतिशास्त्र पर भी बहुत गंभीर थे। उनका विचार था, हालांकि सरकार ने गरीबों को बहुत ऊपर, लगभग हमारे सिर पर चढ़ा लिया है, फिर भी इसमें गरीबों का उतना दोष नहीं है।

उन्हें तो कभी भी उतार देंगे। पर मैं नैतिकता का बड़ा पक्षधर हूं। आर्थिक पक्ष अलग बात है। मीडिया में मैं कुछ सिद्धांतों के लिए भी डालना चाहता हूं। मैंने पूछा, आपने चिटफंड से कमाया, खदानों में लगाया, मॉल में लगाने जा रहे हैं। ऐसे में भ्रष्टाचार पर कैसा नजरिया अपनाएंगे। वे बोले, मैं इतना नीचे नहीं जाना चाहता। ऐसे बेकार और पतनशील दिखने वाले विषयों को उठाकर हम देश को क्या देंगे? फिर प्रॉपर्टी और खदानों की अलग दुनिया है। आप तो आम आदमी के मीडिया पर बात कीजिए। वे बोले, आप उनकी दिलचस्पी के विषयों को उठाइए। थोड़ा लाइट होना चाहिए। भारी विषयों और लंबे उपदेशों का जमाना नहीं रहा। सबको मजा आए। सब समझ लें। यही सब आवश्यकता है। यही पारदर्शिता है।

मुझे उनमें रस आने लगा। वे मुझे सिद्धांत और समझ के नए मॉडल सिखा रहे थे। सारे मामलों पर उनकी नजर थी। वे चिंतित थे कि दिलचस्प खबरें कम हो रही हैं। कितना युद्ध पढ़ेंगे? युद्ध को बार-बार दोहराने से आदमी बोर हो जाता है। आखिर सीमा के एक सैनिक ने अपनी राइफल के बट पर हीरोइन का फोटो काटकर क्यों चिपकाया होगा? उन्होंने कहा, ‘मैं युद्ध के स्थान पर एक जबर्दस्त इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी देना चाहूंगा कि सैनिकों के राइफल के बट पर चिपके चित्रों में कौन हीरोइन नंबर वन है। ग्लैमर का उनके जीवन में शांति और शहादत से बड़ा स्थान है। मैंने कहा, युद्ध में मरने का रोमांच और शौर्य की ऊंचाई इतनी ज्यादा है कि पहली जरूरत उनके परिवारों की देखभाल की है। उनकी हौंसला आफजाई की है। आप हीरोइनों और गानों पर क्यों जाना चाहते हैं?

‘पर आपको यह भी समझना चाहिए कि दिलचस्प विवरणों के बिना पाठक खाली शहादत का क्या करेंगे?’

‘पाठकों के लिए कोई पाकिस्तान की सीमा पर ‘ग्रैंड मस्ती’ का धंधा थोड़े ही चल रहा है। वहां जीवन की असली लड़ाई हो रही है। आप उसमें दिलचस्पी

क्यों ढूंढना चाहते हैं?’

‘आप समझते नहीं। मैं दिलचस्प खबरों के लिए बात कर रहा हूं और आप मुझ पर शक कर रहे हैं। आपकी यही समस्या है। आप पाठक की नहीं, अपने उद्देश्य की चिंता करते हैं।’

बाकी समय में उन्होंने मुझे ओबामा की पत्नी के कपड़े, पुतिन के स्वीमिंग पूल, बर्लुस्कोनी की पार्टी, मलाइका अरोड़ा का दबंग-डांस और सोशल

मीडिया की पसंद पर लेक्चर दिया। उन्होंने बताया कि व्हेल कितने बच्चे देती है, सांप कितने अंडे देता है, डायनासोर का सबसे भारी अंडा कहां मिला, एक आम अमेरिकी अपने एक साल के दाम्पत्य जीवन में कितनी लिपस्टिक खा जाता है आदि-आदि। जब उनसे मैंने पूछा कि इसमें आम आदमी का कितना हाथ है, तो उन्होंने� स्पष्ट किया कि इनमें से प्रत्येक चीज दिलचस्प है। दिलचस्पी पहला तत्व है, जो आम आदमी को अपनी ओर खींचता है। आपके पास यदि कुछ नहीं है, लेकिन कैटरीना या दीपिका या करीना है, तो आम आदमी आपके साथ है। आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भी इनसे राय लेकर चलाएंगे तो लोग पढ़ेंगे-देखेंगे।

मैंने आदत के मुताबिक कहा, ‘आम आदमी की दिलचस्पी रोटी में होती है। वह रोटी के बारे में पूरे दिल से सोचता है।’ उन्होंने कहा, ‘सही है। आप कुछ ऐसी दिलचस्प खबरें ढूंढिए जैसे ढाई मन आटे की रोटी कहां बनी। सचिन के रिकॉर्ड से डबल रोटी का रिकॉर्ड टूटा। पिज्जा और रुमाली रोटी की ऐसी ‘रेसिपी’ ईजाद हुई है, जो ढाई सौ लोगों का पेट एक साथ भर सकती है….। गेहूं के भ्रष्टाचार की बोर खबरों से इन खबरों पर राष्ट्रीय विचार होना चाहिए।’

मैंने उन्हें विचार करने का वचन दिया है। वे पत्रकारिता पर उपकार करते हुए मीडिया-मुगल भी बनना चाहते हैं और गरीब परवर भी। गरीबी पर दिलचस्प खबरें कैसे इकट्ठी की जा सकती हैं, इस पर मुझे शोध करना पड़ेगा। शोध पूरा हो जाए तो मैं अगली मुलाकात में उन्हें बता सकूंगा कि दिल क्या कहता है और दिलचस्पी की हालत क्या है?

क्या आपकी दिलचस्पी इसमें होगी? या फिर आप रावण जलाने का आनंद लेकर, लंबी तानकर सो जाएंगे।

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